विनोद जाधव एक संग्राहक

Thursday, 23 April 2020

मकर संक्रांति: पानीपत के युद्ध में मराठों की हार की दास्तान भाग 4

मकर संक्रांति: पानीपत के युद्ध में मराठों की हार की दास्तान
भाग 4

अंदरूनी लोग बनाम बाहरी आक्रमणकारी, हिंदू बनाम मुसलमान नहीं

तोपखाने और तोप-युद्ध में महारथ रखने वाले बहादुर योद्धा इब्राहिम खां गार्दी मुस्लिम वीर भी मराठा सेना की ताकत का हिस्सा थे. अफगान आक्रमणकारी अब्दाली से भारत की उत्तरी सीमाओं और दिल्ली की रक्षा के लिए, और अब्दाली से लोहा लेने के लिए मराठा सेना उत्तर की ओर 1,200 से 1,400 किमी की दूरी तय करके पहुंची थी. लेकिन उत्तर भारत के अप्रत्याशित कड़ाके की ठंड, एक लंबे समय तक सैन्य अभियान में शामिल रहने, खाद्य रसद की कमी और अपने काफिले में तीर्थ यात्रा के लिए जा रहे साथ मौजूद लगभग 60 हजार नागरिकों के रक्षा की जिम्मेदारी के साथ मराठा सेना इस बड़े युद्ध के लिए तैयार नहीं थे.

जंग के खलनायक

नजीबुद्दौला भारतीय था, जो आक्रमणकारी अफगान सेना में शामिल हो गया था. वह नजीब खान के नाम से भी जाना जाता था और वह रोहिल्ला कबीले से थे. वह बिजनौर जिले के नजीबाबाद शहर का संस्थापक था.
नजीब पहले मुगल सेना में सैनिक के रूप में सेवा कर चुका था, लेकिन बाद में अहमद शाह अब्दाली से जाकर मिल गया. लेखक विश्वास पाटिल नजीब की तुलना शेक्सपियर के 'ओथेलो' में खलनायक 'इआगो' से करते हैं.Image may contain: one or more peopleNo photo description available.

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