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Friday, 15 March 2019

झासी का मराठा महाराजा गंगाधर राव नेवालकर जीवन परिचय व् इतिहास | भाग ५



झासी का मराठा महाराजा गंगाधर राव नेवालकर जीवन परिचय व् इतिहास |
भाग ५
गंगाधर राव को पुत्र रत्न की प्राप्ति
1851 में महाराजा गंगाधर राव और रानी लक्ष्मी बाई ने एक लड़के को जन्म दिया,महाराजा और महारानी की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था. राज्य में इसे उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा पूरी झांसी को सजाया गया और गरीबों और ब्राह्मिनों में धन बांटा जाने लगा.महाराज अपने को धनी मानने लगे थे और बहुत ही कृतज्ञ थे की उनके उताराधिकरी ने जन्म लिया हैं लेकिन विधाता को कुछ और ही मंजूर था उनका यह पुत्र 4 महीनों के बाद दुनिया छोडकर चला गया.
गंगाधर राव को पुत्र शोक और बीमारी
गंगाधर राव की बीमारी अपने पुत्र के जाने के गम में गंगाधर बहुत उदास रहने लगे,उनका स्वास्थ भी खराब रहने लगा और अंतत: वो भयंकर रूप से बीमार हो गये. बहूत से उपचारों और प्रयासों के बाद भी उनके स्वास्थ में कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा था.1853 अक्टूबर में वो नवरात्र के दिनों में अपनी कुलदेवी की आराधना कर रहे थे तब उनकी अचानक से तबियत बिगड़ी और दशहरे के दिन तक उन्हें तीव्र पेचिश की बीमारी का पता लगा, झांसी के सभी बड़े वैद्यों को बुलाया गया, लेकिन सभी निराश ही हुए. झांसी के ब्रिटिश राजनयिकों ने भी व्यवस्था की और ब्रिटिश सरकार को इस सन्दर्भ में सूचना दी. जब सभी प्रयत्न विफल होते दिखने लगे तब भगवान से प्रार्थना का दौर शुरू हुआ और आवश्यक यज्ञ,जप और अन्य धार्मिक कार्य आयोजित किये जाने लगे. लेकिन नवम्बर के तीसरे सप्ताह तक उनकी हालत बहुत ज्यादा बिगड़ गयी.

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