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Friday, 15 March 2019

झासी का मराठा महाराजा गंगाधर राव नेवालकर जीवन परिचय व् इतिहास | भाग ३




झासी का मराठा महाराजा गंगाधर राव नेवालकर जीवन परिचय व् इतिहास |
भाग ३
गंगाधर राव और उनका शासन
राजा गंगाधर राव एक योग्य शासक थे इसलिए सत्ता मिलने के बाद उन्होंने जब मणिकर्णिका से विवाह किया उसके कुछ सालों में ही अंग्रेजों का सारा कर्जा उतार दिया और इसके लिए वो अपनी रानी के शुभ क़दमों को जिमेदार मानते थे. और जब सारा कर्जा उतर गया तब झांसी का शासन पुन: लेने की बात आई, बुंदेलखंड के राजनीतिक एजेंट्स ने अपने ब्रिटिश शासको तक ये बात पहुंचाई. तब अंग्रेजों ने झांसी को पूरी तरह से लौटाने पर सहमती सिर्फ इस शर्त पर दी कि गंगाधर को अंग्रेजो की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एक ब्रिटिश सैन्य टुकड़ी अपने राज्य में रखनी होगी,और इसका खर्चा भी उठाना होगा. गंगाधर को ना चाहते हुए भी परिस्थितयों के वशीभूत हो ये शर्त स्वीकार करनी पड़ी, इसके लिए उन्होंने 2,27,458 रूपये अलग से रखे. इसके अलावा उन्होंने 2 सैन्य दल अपने अधीन भी रखे.
ये सभी समस्याएं खत्म होने के बाद गंगाधर ने इस ख़ुशी में एक बड़ा आयोजन किया जिसमे राजनीतिक एजेंट ने उन्हें 30 लाख रूपये तक देने की घोषणा की और बहुत से बहुमूल्य उपहार भी दिए इसके अलावा जागिदारो और गणमान्य जनों ने भी गंगाधर बहुत से बहुमूल्य रतन और उपहार भेंट किये.
गंगाधर ने झांसी को व्यवस्थित करने के लिए बहुत से कार्य किये,उन्होंने कुछ योग्य और अनुभवी मंत्रियों को प्रशासन के लिए नियुक्त किये.फिर उन्होंने अपनी सैन्य टुकड़ियों को व्यस्व्स्थित किया और झाँसी की चारों तरफ से सुरक्षा को सुनिशिचित किया. इस तरह बहुत ही कम समय में झाँसी ने बहुत विकास किया. महाराज गंगाधर राव को हाथी और घोड़ो का बहुत शौक था. उनके पास बहुत से हाथी और घोड़े थे

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