विनोद जाधव एक संग्राहक

Friday, 15 March 2019

झासी का मराठा महाराजा गंगाधर राव नेवालकर जीवन परिचय व् इतिहास | भाग २

झासी का मराठा महाराजा गंगाधर राव नेवालकर जीवन परिचय व् इतिहास |
भाग २
महाराज गंगाधर राव के गुण
गंगाधर एक योग्य शासक थे ,गंगाधर राव को सत्ता मिली, तब झांसी की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, लेकिन गंगाधर ने अपने कुशल प्रबन्धन से झांसी की आर्थीक स्थिति में काफी सुधार किया. उन्होंने झांसी के विकास के लिए समुचित निर्णय लिए. उन्होंने 5000 की सेना का नेत्रत्व भी किया. वो बुद्धिमान, कुटनीतिज्ञ और कला और संस्कृति में रूचि थी. ब्रिटिशर्स भी उनकी राजनीतिक गुणों के प्रशसंक थे. गंगाधर राव विद्वान भी थे,उन्हें संस्कृत लिपि का बहुत ज्ञान था और संस्कृत की बहुत सी किताबें और झांसी के वास्तुकला सम्बन्धित किताबें उनके पुस्तकालय में शामिल थी.
रामचन्द्र राव के कोई बच्चा नहीं था.उन्होंने कृष्णा राव के लड़के को गोद लिया. उस समय तक शास्त्रों और पंडितों ने में कृष्णा राव के गोद लेने को मान्यता नहीं थी. इस कारण रामचन्द्र राव के ताऊ रघुनाथ राव को राजा बनाया गया, रघुनाथ राव एक अयोग्य शासक सिद्ध हुए उनके कारण झांसी की आर्थिक स्थिति कमजोर होने लगी. इस कारण 1837 में ब्रिटिश शासको ने सत्ता उनसे छीनकर अपने हाथ में ले ली. रघुनाथ राव के देहांत के बाद फिर से ये सवाल उठा की अब झांसी की सत्ता किसे सौपी जाए, ऐसे में 4 नाम थे जिनमें ये समभावना नजर आ रही थी रघुनाथ राव के छोटे भई गंगाधर राव,राम चन्द्र राव के दत्तक पुत्र कृष्णा राव,रघुनाथ राव की महारानी और रघुनाथ के दासी गजरा का पुत्र अली बहादुर. इसके लिए एक कमिशन बनाया गया जिसमे गंगाधर राव को सबसे उपयुक्त उम्मीदावर मानकर उन्हें झांसी की सत्ता सौपी गयी, लेकिन अंग्रेजों ने कुछ अधिकार अपने पास रख लिए थे और गंगाधर को पूर्णत: शासन का अधिकार दिया क्युकी रघुनाथ राव के शासन काल में झांसी पर कुछ कर्जा हो गया था इसलिए अंग्रेजों ने ये तय किया कि जब तक उन्हें पूरे पैसे नहीं मिल जाते, वो झांसी के शासन में अपना हस्तक्षेप रखेंगे.

No comments:

Post a Comment

“कोरलाईचा किल्ला”.

  १३ सप्टेंबर १५९४.... कोकणातील रायगड जिल्ह्यामध्ये मुरुड तालुका आहे. मुरुड तालुक्याच्या उत्तरेला अलिबाग तालुका आहे या दोन्ही तालुक्यांमध्...