झासी का मराठा महाराजा गंगाधर राव नेवालकर जीवन परिचय व् इतिहास |
भाग १
झांसी के नाम के साथ जो नाम ध्यान में आता हैं वो हैं रानी लक्ष्मी बाई का,लेकिन लक्ष्मी बाई के मनु से झाँसी की रानी तक के सफर में साथ देने वाले उनके पति के नाम को अब तक काफी भुलाया जा चूका है. लेकिन झांसी पहुँचने पर महाराजा गंगाधर राव की छतरी के बारे में पता चलता हैं, जिससे लक्ष्मीबाई के पति के बारे में जिज्ञासा जागृत होना स्वाभाविक हैं. यह छतरी लक्ष्मीबाई द्वारा बनवाई गयी हैं. यह झांसी के महत्वपूर्ण ऐतोहासिक स्थलों में से एक हैं. वास्तव में रानी लक्ष्मी बाई से पहले महाराजा गंगाधार राव नेवलकर झांसी के महाराजा थे, झांसी जो की अभी उत्तर प्रदेश में है, तब बुंदेलखंड का हिस्सा हुआ करता था, महाराजा गंगाधर राव एक न्यायप्रिय,जनप्रिय और कुशल शासक थे.
गंगाधर राव का इतिहास
गंगाधार राव के पिताजी का नाम शिव राव भाऊ था, जो की झाँसी के पहले शासक रघुनाथ हरी नेवलकर के वंशज थे. गंगाधर राव के पूर्वज महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले से आये थे. पेशवाओ के शासन काल में इनमे से कुछ खान्देश चले गए और वहां पेशवा और होल्कर सेना में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने लगे. रघुनाथ हरी नेवलकर ने बुदेलखंड में मराठा साम्राज्य को स्थापित किया,और जब वो बूढ़े होने लगे तब उन्होंने अपने छोटे भई शिव राव भाऊ को झांसी सौंप दी. 1838 में रघुनाथ राव तृतीय के देहांत के बाद 1843 में ब्रिटिश शासकों ने उनके छोटे भाई गंगाधर राव को झाँसी का राजा घोषित कर दिया.
गंगाधार राव के पिताजी का नाम शिव राव भाऊ था, जो की झाँसी के पहले शासक रघुनाथ हरी नेवलकर के वंशज थे. गंगाधर राव के पूर्वज महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले से आये थे. पेशवाओ के शासन काल में इनमे से कुछ खान्देश चले गए और वहां पेशवा और होल्कर सेना में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने लगे. रघुनाथ हरी नेवलकर ने बुदेलखंड में मराठा साम्राज्य को स्थापित किया,और जब वो बूढ़े होने लगे तब उन्होंने अपने छोटे भई शिव राव भाऊ को झांसी सौंप दी. 1838 में रघुनाथ राव तृतीय के देहांत के बाद 1843 में ब्रिटिश शासकों ने उनके छोटे भाई गंगाधर राव को झाँसी का राजा घोषित कर दिया.
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