Gulam Gaus Kha`s Tomb-Jhasi fort
गुलाम गौस खान का जीवन परिचय
गुलाम गौस खान का जीवन परिचय (Gulam gaus Khan Biography in Hindi)
वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई एवं उनकी वीरता के बारे में तो सभी लोग जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि जब अंग्रेजों ने झाँसी एवं झाँसी की रानी के किले में कब्जा करने के लिए आक्रमण किया था, तब किले की एवं झाँसी की रक्षा के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने विद्रोहियों की एक सेना को इकठ्ठा किया जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं. गुलाम गौस खान उसी सेना के एक प्रमुख तोपची एवं कमांडर थे. जिन्होंने अंग्रेजों को किले में घुसने से रोकने में अहम भूमिका निभाई थी.गुलाम गौस खान जन्म एवं परिचय (Birth and Introduction)
गुलाम गौस खान की लड़ाई में भूमिका (Role in Struggle)
गुलाम गौस खान की मृत्यु एवं समाधि (Death and Grave)
गुलाम गौस खान, मोती बाई एवं खुदाबक्श तीनों ही लड़ाई के दौरान अंग्रेजों का सामना करते – करते 4 जून 1858 को शहीद हो गए. झाँसी के किले के अंदर ही गुलाम गौस खान की कब्र बनाई गई, जहाँ लोग आज भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद करने के लिए जाते हैं.
अतः एक ऐसे योद्धा जिन्होंने मुसलमान होते हुए भी एक मराठा रानी का साथ दिया, उन्हें एक मिसाल के रूप में याद किया जाना चाहिए.
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