विनोद जाधव एक संग्राहक

Thursday, 23 April 2020

मकर संक्रांति: पानीपत के युद्ध में मराठों की हार की दास्तान भाग १

मकर संक्रांति: पानीपत के युद्ध में मराठों की हार की दास्तान
भाग १
मकर संक्रांति का त्योहार जहां देश भर में तिल-गुड़ की मिठास, खिचड़ी के स्वाद, पूजा-पाठ और पवित्र स्नान जैसे तौर-तरीकों के साथ मनाया जाता हैं, वहीं महाराष्ट्र के लोगों के लिए मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जिसमें मिठास तो है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा इतिहास में दर्ज एक ऐसी कड़वी घटना का दर्द है, जिसे याद कर मराठी समुदाय आज भी भावविभोर हो जाता है. मकर संक्रांति के ही दिन पानीपत के तीसरे युद्ध में हजारों मराठा मारे गए थे, और अफगान सेना ने बच्चों और औरतों को गुलाम बनाया था.

14 जनवरी 1761, पानीपत, हरियाणा

भारत के इतिहास में यह तारीख मकर संक्रांति के त्योहार को सुनहरे अक्षरों में दर्ज कर देती, अगर इस दिन मराठा सेना ने अफगान कबाइली योद्धा अहमद शाह अब्दाली ( जिसे दुर्रानी भी कहा जाता था ) की दुश्मन सेना को हरा दिया होता. लेकिन इसके बजाय, मराठाओं के लिए यह एक नरसंहार और बड़े नुकसान का दिन बन गया.No photo description available.Image may contain: one or more people, american football and outdoor

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