श्रीमंत #युवराज_खंडेराव_होलकर_267_वीं #पुण्यतिथि(17 मार्च ,1754 ई०)
मालवा के महान मराठा सेनापति श्रीमंत महाराज मल्हार राव होलकर और रानी गौतामबाई के पुत्र खंडेराव होलकर थे | उनका जन्म सन 1725 ई० को #विजयदशमी_के_शुभ_दिन_हुआ_था_खंडेराव होलकर के बारें में अनेक भ्रांतियां फैला रखी है कि वह राजकार्य में रुचि नहीं लेते थे | वह आलसी थे | वह सुरा सुन्दरी में मस्त रहा करते थे और वह विलासी जीवन जीते थे | परन्तु ऐसा नहीं था | वह बचपन से राज काज में रुचि लेते थे और वह बड़े वीर योद्धा भी थे | लेखकों ने उनके चरित्र के साथ न्याय नहीं किया | संभवतः देवी अहिल्याबाई होलकर के महान चरित्र को प्रस्तुत करने के कारण उनके पति खंडेराव होलकर को तुलनात्मक रूप से जानबूझ कर गलत प्रस्तुत किया | बाद के लेखक भी उसी परिपाटी को निभाते हुए खंडेराव होलकर को गलत प्रस्तुत करते रहे | किसी ने भी उनकी ओर ध्यान नहीं दिया | जबकि वह अपने पिता की भांति बचपन से राजकार्य में रूचि लेते थे और अपने पिता के साथ लड़ाइयों में भाग लेते थे | यहाँ तक उन्होंने छोटी सी आयु में स्वतंत्र होकर भी लड़ाई लड़ी थी | वह स्वभाव से क्रोधी किन्तु वीर एवं साहसी व्यक्ति थे ।
सन् 1735 ई० में #खण्डेराव_होलकर_का_विवाह #देवी_अहिल्याबाई_के_साथ_हुआ। #उनके_दो_बच्चे हुए | #एक_पुत्र_माले_राव और #दूसरी_पुत्री_मुक्ता_हुई |
#खंडेराव होलकर अपने #पिता_श्रीमंत_मल्हार राव होलकर के सानिध्य में रहकर युद्ध कला में पारंगत हो गये थे | जब सन 1737 ई० मराठों की निजाम से लड़ाई चल रही थी | उस काल में खंडेराव होलकर का स्वतंत्र होकर युद्ध करने का वर्णन मिलता है | मालवा में मुगलों की ओर से मीरमानी खान के सैनिकों ने शाजापुर के कमाविसदार को लूटा, बस्ती को आग लगा दी और कमाविसदार को मार डाला | इसकी जानकारी होलकर सैनिकों को लगी तो खंडेराव होलकर और संताजी वाघ ने मीरमानी खान पर हमला किया और उसे मार कर बदला लिया |
सन 1739 ई० में मराठो की पुर्तगालियों से लड़ाई चल रही थी | तब भी खंडेराव होलकर और संताजी वाघ ने तारापुर के किले की नीचे चार पांच बारूदी सुरंगे बिछा कर धमाका किया गया | किले की दीवारें टूट गई और मराठों ने घमासान युद्ध कर किले पर अधिकार कर लिया | खंडेराव होलकर को शिलेदार पद देकर सम्मानित किया गया |
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