*होलकर साम्राज्य*
श्रीमंत के जीवन परिचय का कुछ अंश आपके सामने प्रकाशित कर रहा हूं
मल्हार राव ने अपने जीवन काल में 52 युद्ध जीते
जिनके युद्ध के मैदान में पहुंचते ही मुगलों की सेना डर से मल्हार आया मल्हार आया कहते हुए युद्ध के मैदान से युद्ध छोड़कर भाग जाया करती थी
छत्रपति शिवाजी महाराज के द्वारा स्थापित स्वराज को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई और मराठी साम्राज्य का परचम अटक से कटक लहराया मराठा साम्राज्य में मराठा युद्धनीति के रणनीतिकार रहे
मल्हार राव होलकर का जन्म 16 मार्च 1693 को जेजुरी के पास होल गांव में हुआ था
राजा मल्हार राव होलकर महान सरदार सूबेदार थे 17 वी शताब्दी में मराठेशाही के सबसे मुख्य स्तंभ थे मल्हार राव होलकर इतिहास के सबसे बहादुर सेनानियों में से एक थे
मराठा साम्राज्य के मालवा प्रांत के पहले सूबेदार थे एवं होलकर वंश के संस्थापक थे जिन्होंने इंदौर पर राज किया जिन्होंने उत्तर भारत में मराठा साम्राज्य का विस्तार किया मल्हरा राव एक निडर और बहादुर साहसी योद्धा थे वह न केवल युद्ध के विशेषज्ञ थे बल्कि राजनीति और शासन में भी विशेषज्ञ थे उनके एक बार निर्णय लेने के बाद मराठा साम्राज्य में कोई उनके निर्णय को बदल नहीं सकता था उन्होंने अपने शासनकाल में 4 पेशवाओ के सेनापति रहे पेशवा उन्हें पिता के समान सम्मान दिया करते थे
मातो श्री अहिल्या देवी को अपनी पुत्रवधू नहीं अपनी पुत्री की भांति स्नेह किया अपने पुत्र छोटे। सूबेदार खंडेराव होलकर की मृत्यु के पश्चात अहिल्या माता को सती जाने से रोका और अपने राज्य की बागडोर मतो श्री के हाथो में दि अहिल्या माता के गुणों को देखते हुए उन्हें युद्धनीति राजनीति से लेकर कुशल शाषीका बनाया
समाज में महिलाओं को शीक्षा का अधिकार दिया एवम् सती प्रथा को खत्म किया
16 साल की उम्र में सरदार कदम बांडे की ओर से लड़ते हुए उन्होंने निजाम के सेनापति को मार डाला
1711 ईस्वी इसी में मल्हार राव ने मालवा मुक्त किया
1719 ईस्वी मैं मल्हार राव ने दिल्ली के किले में जाकर फर्रूखसियर की आंखें निकाली और संभाजी महाराज की कन्या भवानी भाई की शादी जबरजस्ती मोइनुद्दीन से की थी उसकी हत्या कर दी
1727 ईस्वी मैं सिले गांव के युद्ध में निजाम को पराजित किया
1729 ईस्वी मैं तिरला के युद्ध में मुगल सूबेदार दया बहादुर को हराया
1751 ईस्वी में गनिमी कावा से फतेहगढ़ किला जीता
1754 ईस्वी मैं बादशाह अहमदशाह को पराजित किया
पानीपत युद्ध के बाद मल्हार राव ने मराठेशाही की बिगड़ती स्थिति को फिर से स्थापित करने की पहल की और अभियानों की एक श्रृंखला शुरू की इसी तरह के अभियान पर मल्हारराव की मृत्यु 20 मई 1766 को आलमपुर में हुई थी ऐसे महान मल्हार राव होलकर को मनाचा मुजरा
Post by_ सुमित बोराडे
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