होलकर सेनापति शांता जी वाघ का पराक्रम
होलकर साम्राज्य के सेनापति शांता जी वाघ 1761 पानीपत के युद्ध में उन्होंने अपना पराक्रम दिखाया सदाशिव भाऊ की पत्नी पार्वती बाई एवं समस्त मराठी महिलाएं को पानीपत के युद्ध से सुरक्षित बाहर निकालने में अपने प्राणों की आहुति दी
आधी होल्कर सेना जो नजीब और शाह पसंद का का रास्ता रोके लड़ रही थी उसका सरदार था शांता जी वाह उनका विशाल शरीर उनके बाद गोत्र को सार्थक कर रहा था 2000 होलकर सैनिक पर 8000 शाह पसंद खा के सैनिक पर जय मल्हार जय भवानी जय शिवाजी कह कर हमला कर रहे थे संताजी अपने ऊंचे पूरे इराकी घोड़े की प्रकाश पर पांव जमा कर घोड़े की पीठ से ऊंचे हो जाते और जय मल्हार की गर्जना कर अपना खांडा अफगान सैनिक पर चला देते संताजी के घातक प्रहार देख और अपने साथियों को मरता देख अफगान सैनिक उनके निकट आने से घबराने लगे युद्ध के मैदान में इधर उधर भागने लगे
सांता जी वाघ का पराक्रम देखकर शाहपसंद खा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया के होल्कर सरदार पर पीछे से वार करो शाहपसंद खान का आदेश सुन अफगानी गुड सवारों ने सांता जी वाघ को चारों ओर से घेर लिया और वार पर वार करने लगे दूर से अफ़गानों ने शांता जी को 4 तीर मारे चारों तीर शांता जी की छाती में धस गए पीछे से अफगानी सैनिकों ने उनकी पीठ पर तलवारों से वार किया जिससे शांता जी का पूरा शरीर लहूलुहान हो गया लेकिन इतना घायल होने के बावजूद भी शांता जी का खांडा निरंतर अफगानी सैनिकों पर चलता रहा सांता जी के 2000 होलकर सैनिक मारे गए थे उसके बावजूद शांता जी अपने घोड़े पर अकेले बैठ दुश्मनों पर खांडा चला रहे थे तभी एक अफगानी सैनिक ने अपने फरसे का वार शांता जी पर किया मरते-मरते शांता जी वाघ ने। सारी शक्ति एकत्रित की जोर से उकार भरी जय मल्हार फरसा चलाने वाले अफगान सैनिक को काटकर भूमि पर फेंका घोड़े पर बैठे सांता जी वाघ को 40 से अधिक घाव लगे और वह होलकर सुरमा जय भवानी जय शिवाजी कहते हुए भूमि पर जा गिरे कुल 10,000 होलकर सैनिक पानीपत में मारे गए थे
Post by_ sumit borade
No comments:
Post a Comment