गोहद का किला और मराठा वीरो का पराक्रम
(मराठा वीरो कि अनसुनी कहाणी )
भाग १
गोहद का क़िला मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले के गोहद तहसील में स्थित एक दुर्ग या किला है। यह ऐतिहासिक स्थल राज्य के पर्यटन आकर्षणों में से एक है। इस किले का निर्माण जाट राजा महासिंह ने १६वीं शताब्दी में करवाया था।
ग्वालियर से लगभग 35 किमी दूर तथा भिण्ड से 45 किमी की दूरी पर है। किले
में पहुंचने के लिए राष्टीय राजमार्ग 92 से गोहद चैराहा से होकर सड़क मार्ग
से पहुंचा जा सकता है। गोहद चैराहा से किला लगभग 5 किमी की दूरी पर होगा।
स्थापत्य
यह किला दो भागों में बना है: एक है पुराने किला व इसी किले के सामने दूसरा नया-महल है। पुराने किले से नया-महल के बीच में किले में प्रवेश के लिए पत्थर एवं ईंटों का मार्ग बनाया हुआ है। किला एक स्थानीय बेसली नदी के किनारे ऊंचे टीले पर स्थित है। यह राजपूत और जाट स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस किले के निर्माण में ईंट-पत्थर, मिटटी और चूने का उपयोग हुआ है।[3]
पुराना किला
किले का निर्माण १७३९ ई॰ में जाट राजा भीमसिंह द्वारा करवाया गया था। किले की दीवारों पर श्वेत पत्थर, चूना, गुड़, उड़द, बजरी, कौड़ी, सनबीजा, गोंद आदि से बना श्वेत एवं भूरा प्लास्टर किया गया है। इस प्लास्टर में अनेक आकृतियाँ जैसे मछली, भेड़, कुत्ते, तोता, हिरण, बृक्ष, कमल के फूल, हंस, हाथी, फूलपत्तियां आदि से दीवार पर ईरानी शैली की नक्काशी दिखाई देती है। यह आज भी ठीक स्थिति में है। पुराने किले में रानीमहल, राजामहल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, पूजाघर, नृत्यघर और अखाड़ा, स्नानगार, कुआं आदि वर्तमान में क्षतिग्रस्त स्थिति में है। इसके बीच में अखाड़ा है और उसके बीच में एक गोल स्थान है जहां पहलवान लोग कुश्ती किया करते थे। वहीं सामने राजा के बैठने का स्थान है तथा अन्य चारों तरफ लोगों के बैठने का स्थान बने हुए है। [3]
नया महल
कालान्तर में नया-महल बना जिसका का निर्माण जाट राजा छत्रपति सिंह द्वारा कराया गया था। नये महल में वर्तमान में तहसील न्यायालय, कोशालय आदि शासकीय भवन लगते हैं। नया-महल की अन्दरूनी दीवारों पर तथा मुख्य द्वार पर सफेद पत्थर एवं चूने का सुंदर प्लास्टर किया है। इस प्लास्टर पर ईरानी शैली में नक्काशी से पेड़-पौधे, पत्तियां आदि बनाए जाकर उत्कृष्ट नक्काशी की गई हैं। नया-महल के खिड़कियां पत्थरों की नक्काशी करके बनाई गई हैं। नया-महल की नक्काशी आज भी दर्शनीय स्थिति में है।
मध्य भारत में इस गोहद के किले का अत्यधिक सामारिक महत्व रहा है। किले पर अधिकांशतः जाट एवं भदावर राजाओं और फिर मराठों का अधिकार रहा है। वर्तमान में पुराना किला एवं नयामहल मध्य प्रदेश सरकार के पुरातत्व विभाग के अधीन है और पुरातत्व विभाग द्वारा इसका अनुरक्षण कार्य कराया जाता है। नयामहल में शासकीय आॅफीसों को हटाए जाकर नयामहल का भी पुरातत्व दृष्टि से संरक्षण किए जाने का प्रस्ताव भी है।[3]
स्थापत्य
यह किला दो भागों में बना है: एक है पुराने किला व इसी किले के सामने दूसरा नया-महल है। पुराने किले से नया-महल के बीच में किले में प्रवेश के लिए पत्थर एवं ईंटों का मार्ग बनाया हुआ है। किला एक स्थानीय बेसली नदी के किनारे ऊंचे टीले पर स्थित है। यह राजपूत और जाट स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस किले के निर्माण में ईंट-पत्थर, मिटटी और चूने का उपयोग हुआ है।[3]
पुराना किला
किले का निर्माण १७३९ ई॰ में जाट राजा भीमसिंह द्वारा करवाया गया था। किले की दीवारों पर श्वेत पत्थर, चूना, गुड़, उड़द, बजरी, कौड़ी, सनबीजा, गोंद आदि से बना श्वेत एवं भूरा प्लास्टर किया गया है। इस प्लास्टर में अनेक आकृतियाँ जैसे मछली, भेड़, कुत्ते, तोता, हिरण, बृक्ष, कमल के फूल, हंस, हाथी, फूलपत्तियां आदि से दीवार पर ईरानी शैली की नक्काशी दिखाई देती है। यह आज भी ठीक स्थिति में है। पुराने किले में रानीमहल, राजामहल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, पूजाघर, नृत्यघर और अखाड़ा, स्नानगार, कुआं आदि वर्तमान में क्षतिग्रस्त स्थिति में है। इसके बीच में अखाड़ा है और उसके बीच में एक गोल स्थान है जहां पहलवान लोग कुश्ती किया करते थे। वहीं सामने राजा के बैठने का स्थान है तथा अन्य चारों तरफ लोगों के बैठने का स्थान बने हुए है। [3]
नया महल
कालान्तर में नया-महल बना जिसका का निर्माण जाट राजा छत्रपति सिंह द्वारा कराया गया था। नये महल में वर्तमान में तहसील न्यायालय, कोशालय आदि शासकीय भवन लगते हैं। नया-महल की अन्दरूनी दीवारों पर तथा मुख्य द्वार पर सफेद पत्थर एवं चूने का सुंदर प्लास्टर किया है। इस प्लास्टर पर ईरानी शैली में नक्काशी से पेड़-पौधे, पत्तियां आदि बनाए जाकर उत्कृष्ट नक्काशी की गई हैं। नया-महल के खिड़कियां पत्थरों की नक्काशी करके बनाई गई हैं। नया-महल की नक्काशी आज भी दर्शनीय स्थिति में है।
मध्य भारत में इस गोहद के किले का अत्यधिक सामारिक महत्व रहा है। किले पर अधिकांशतः जाट एवं भदावर राजाओं और फिर मराठों का अधिकार रहा है। वर्तमान में पुराना किला एवं नयामहल मध्य प्रदेश सरकार के पुरातत्व विभाग के अधीन है और पुरातत्व विभाग द्वारा इसका अनुरक्षण कार्य कराया जाता है। नयामहल में शासकीय आॅफीसों को हटाए जाकर नयामहल का भी पुरातत्व दृष्टि से संरक्षण किए जाने का प्रस्ताव भी है।[3]
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