विनोद जाधव एक संग्राहक

Wednesday, 13 March 2019

गोहद का किला और मराठा वीरो का पराक्रम (मराठा वीरो कि अनसुनी कहाणी ) भाग ३


गोहद का किला और मराठा वीरो का पराक्रम
(मराठा वीरो कि अनसुनी कहाणी )
भाग ३
मराठा सरदार रघुनाथराव और महादजी सिंधिया
सन 1761 ई में पानीपत के तीसरे युद्ध मे हुई मराठो की करारी हार का लाभ उठाते हुए उसने ग्वालियर दुर्ग पर अधिकार कर लिया। सन 1765 में महादजी सिंधिया ने ग्वालियर को फिर हथिया लिया। अब छत्र सिंह को दंड देना शेष था।
मार्च 1766 में मराठा सरदार रघुनाथराव ने गोहद पर आक्रमण कर दिया इस युद्ध मे यद्यपि आरंभिक सफलता मराठाओ को मिली किन्तु फिर जाट सेना ने संभल कर शत्रु सेना पर आक्रमण कर दिया जिसमें मराठा सेना बुरी तरह परास्त हुई।

अक्टूबर 1766 ई में महदजी सिंधिया के नेतृत्व में गोहद किले का घेरा डाल दिया। गोलाबारी से किले का परकोटा तोड़ दिया गया इस युद्ध मे छत्र सिंह का दमाद मारा गया। राणा छत्र सिंह संधि के लिए विवश हो गया पर समझौता न हो सका ।
संधि प्रस्तव विफल होने पर रघुनाथ राव ने नवंबर 1766 में फिर गोहद पर आक्रमण कर दिया। जाट वीरता से लड़े । जाटों के तोपखाने की मार से सैकड़ो सैनिक मारे गए। अंततः मराठाओ को पराजय मिली। पर दोनो के बीच संघर्ष चलता रहा।
2 जनवरी 1767 को महादजी सिंधिया की मध्यस्थता में रघुनाथ राव और छत्र सिंह की संधि हो गई, पर जैसे ही रघुनाथ राव करोली तरफ गया छत्र सिंह ने मराठाओ के अधिपत्य की गड़ियों को छीन कर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। उसकी ताकत बढ़ती गई। मई सन1768 ई में उसने भिण्ड पर आक्रमण कर उसे जीत लिया।

No comments:

Post a Comment

“कोरलाईचा किल्ला”.

  १३ सप्टेंबर १५९४.... कोकणातील रायगड जिल्ह्यामध्ये मुरुड तालुका आहे. मुरुड तालुक्याच्या उत्तरेला अलिबाग तालुका आहे या दोन्ही तालुक्यांमध्...