महान क्षत्रप अभीर साम्राज्य-
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क्षत्रप-अभीर एक महान और विशाल साम्राज्य को यदुवंशी अभीरों द्वारा शासित था जिसका वर्णन हम अक्सर पुर्व मध्यकाल इतिहास में पाते हैं।
इस साम्राज्य को क्षहरात्र साम्राज्य भी कहा जाता है जिसका अर्थ है क्षत्रिय तथा इसके अभीर सम्राटो को महाक्षत्रप अर्थात क्षत्रियों का क्षत्रिय कहा गया है।
यह विशाल साम्राज्य आज के भारत के राजस्थान, मालवा मध्यप्रदेश, गुजरात के सौराष्ट्र और विदर्भ ,पाकिस्तान,सिंध, अफगानिस्तान, अरब औऱ फ़ारस की खाड़ी तक फ़ैला था ।
इतना विशाल साम्राज्य मुग़लो को भी नसीब नही हुआ होगा ।
इस साम्राज्य की तुलना मौर्य, गुप्त से करना उचित होगा ,इतने बड़े साम्राज्य पर हुकूमत द्वारिकाधीश के वंशज आर्य अहीर सम्राटों ने की थी उनका काल संभवतः दूसरी से प्रथम शताब्दि इसा पूर्व था ।
इस साम्राज्य के अभीर किस गोत्र के थे इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है लेकिन ज़्यादा संभावना इनके श्री कृष्ण के बेटे सांब से होने की है क्यूंकि द्वारका के विनाश के पश्चात सांब महाराज के वंश के लोग पश्चिम ने आज के सीरिया तक जा बसे थे।
इन लोगों ने वहां महान सम्माई सभ्यता "सुमेरियन" सभ्यता बसाई , मिस्र को फतह किया और शोणितपुर "बेबीलॉन" को अपनी राजधानी बनाई।
बाद में इस्लाम के उदय के बाद अपने सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु ये लोग वापस ईरान और अफ़ग़ान वाले छेत्र में आए फिर आखिर में सिंध वाले प्रांत में।
कई बार इसी कारण इतिहासकार अहीरों को इन्ही तथ्यों पर विदेशी करार देते हैं लेकिन यह अर्द्ध सत्य है।
दुनिया की सबसे महान संस्कृति है हमारी सनातन हिंदू संस्कृति और इसी संस्कृति की महान स्म्भ्यता है हमारी आर्य सभ्यता।
पौराणिक काल में हमारा भारतखंड दक्षिण से लेकर अफगानिस्तान, इराक, ईरान, इजराइल से लेकर यूनान तक फैला था।
युद्ध प्रिय, अश्वप्रेमी ये अभीर क्षत्रिय भीमकाय डीलडौल, तीखे नैन नक्श, गोरे रंग एवं light eyes के हुआ करते थे।
जिसके कारण आज भी भारत के ज़्यादातर अहीरों का Aryan DNA अन्यों के मुकाबले बेहतर है।
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सभी बड़े इतिहासकारों Max Muller आदि के अनुसार दुनिया के महानतम लड़ाका शाही आर्य नस्लों में से एक चंद्र देवता के बेटे अभीर या अहीर वंश जिसे हिंदुस्तान के ग्रंथो आदि में यादव या यदुवंशी कहा जाता है ये नस्ल असल में पूरब और पश्चिम की सभ्यताओं के बीच एक पुल या बाँध की तरह काम करती है।
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वेदों पुरानो के अनुसार चंद्रदेव की पीढ़ी में जन्में सम्राट ययाति के पांचो बेटे जिन्हें पंच वीर पांचजन्य आर्य क्षत्रिय कहा जाता है एक समय सम्पूर्ण पृथ्वी पर एकछत्र शासन इन्ही पाँचो बेटों के वंशजो ने किया।
ये पांच पुत्र थे - 1) ज्येष्ठ पुत्र यदु (अभीर/यादव वंश के जनक), 2) पुरू (कौरव वंश के जनक), 3) तुर्वसु (यूनानियो के जनक), 4) द्रुहू, और 5) अनु (गंधार वंश तथा अफगानियो के जनक)।
सम्राट ययाति के छोटे बेटे तथा यदु के छोटे भाई तुर्वासु ही असल में रोम और यूनानी सभ्यता के जनक थे जिन्होंने पश्चिम की महानतम यूनानी सभ्यता की स्थापना करी।
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सम्राट अभिरक:
क्षात्र/क्षत्रप वंश के सबसे प्रभावी सम्राटों में से एक थे।
ये सम्राट भूमाका के पिताश्री और सम्राट नाहपाना के दादा थे।
वह अपने सिक्कों के माध्यम से जाने जाते है, जो उत्तरी पाकिस्तान के चुखा क्षेत्र में पाए गए हैं , उनके सिक्कों को अफगानिस्तान और फारस की खाड़ी के अरब राज्यों तक बड़े पैमाने पर पाया गया है जिससे उनके विसाल सम्राज्य का आसानी से अंदाजा लगाया जा साकता है।
इनके सिक्कों की ख़ास बात यह है कि इनके सिक्कों पर इनके देवता और पूर्वज श्री कृष्ण जी का अस्त्र सुदर्शन का चित्र अंकित है ।
इनके कुछ सिक्के जो अरब में बरामद हुए वो आज भी UAE के central museum में सुरक्षित है एवं इन्हें साफ़ साफ़ अभीर सम्राट लिखा है।
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सम्राट क्षत्रप भूमक :
सम्राट अभिरक के पुत्र थे जिनका शासन (119 ई.) दूसरी शताब्दी के आरंभ में था ।
आगे चल इनका पुत्र नाहपना एक महान शासक सिद्ध हुआ।
इनके सिक्के पर प्रतीक जो पाए जाते हैं वो, जैसे कि आठ-स्पोक व्हील ( धर्मचक्र ), या राजधानी पर शेर सीट, अशोक के एक पिलेर का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भुमका के सिक्के गुजरात , काठियावाड़ और मालवा के क्षेत्रों में पाए गए हैं।
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सम्राट क्षत्रप नहपाना :
भुमक के पुत्र थे और संभवतः गौंतमि पुत्र सातकर्णी के समकालीन थे ।
नाहपना एक महान शासक और महान योद्धा था।
उसने अपने दिग्विजय में उतर भारत को जीता जिसमें आज का उत्तर प्रदेश, पंजाब औऱ मालवा और मध्यप्रदेश का प्रांत जो कि क्षात्र वंश से अलग हो गया था उसको जीत पुनः वापस मिलाया।
नहापना के कुछ सिक्के विदर्भ के नासिक और गुजरात मे पाए गए ।
क्षत्रप नहापना और सातवाहन वंश के गौतमीपुत्र के बीच भीषण युद्ध हुआ था
इसपर बनी south की एक मूवी "गौतमीपुत्र सत्कर्नि" में एक जगह यह दिखाया गया कि क्षत्रप नहपाण ये कहते हैं सातकार्नी से कि, : " महान क्षत्रप वंश के उनके पूर्वज, पिता महाराजा भूमक और दादा महाराजा अभीरक ने सातवाहनो को हर पटखनी दी " जिससे क्षत्रप अभीर साम्राज्यों की कीर्ति पता चलती है।
हालाँकि मूवी में एक जगह अभीर क्षत्रप सम्राट नहापना जिनका किरदार कबीर बेदी जी ने निभाया ने सातवाहनों और उनके राजा गौतमीपुत्र को एक निम्न और छोटे कुल का भी कहा जिससे शायद यह कहा जा सकता है कि सातवाहन क्षत्रिय कुल के ही नही थे।
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क्षत्रप वंश के अगले प्रतापी सम्राट चस्ताना थे । इन्होने अपने नाम पर कजाखस्तान देश की नगरी "अस्ताना" बसाई। ये नगर आज कजाख्स्तान देश की राजधानी है।
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कालांतर में इन्हीं आभिर साम्राज्य वालों के वंशजों ने पश्चिमी राजस्थान के मारवाड़ प्रांत तक में शासन किया और जोधपुर के ओसियां में 7वी शताब्दी मे मशहूर हरिहर देव मंदिर का निर्माण करवाया जो आज भी विद्यमान है।
बाद में आखिरी युद्ध में प्रतिहार वंश से पराजय के पश्चात अभीर यहां से निकल मालवा जा बसे।
With the combined efforts of : Pawan Rai, Yaduveer Ankit, Devvrat and our team .
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Value Addition By : #Swords_nd_Glories'_team .
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