#टीपू_सुल्तान को युद्ध में परास्त करने वाले #इंदौर के शासक सूबेदार तुकोजीराव #होलकर प्रथम इतिहास के पन्नों से गुम
#टीपू_सुल्तान को युद्ध में परास्त करने वाले #इंदौर के शासक सूबेदार तुकोजीराव #होलकर प्रथम इतिहास के पन्नों से गुम
शासन अविधि ( 1795-1797)
तुकोजीराव होलकर हमेशा अपने काका सूबेदार मल्हार राव होलकर के साथ युद्ध क्षेत्रों में सहायक रहे थे मल्हार राव होलकर की मृत्यु के पश्चात मातेश्वरी अहिल्याबाई ने उनको अपना सेनापति बनाया था वह मातोश्री अहिल्याबाई होल्कर व पेशवा के हमेशा विश्वस्त स्वामी भक्त बने रहे इनका जन्म सन् 1723 में हुआ था मातोश्री के शासनकाल में उन्होंने कई युद्धों में भाग लिया था सन 1794 में महादजी सिंधिया की मृत्यु के बाद सूबेदार तुकोजीराव होलकर ही मराठों के प्रमुख थे
मातोश्री के देवलोक गमन के पश्चात इंदौर राज्य प्रभार के सारे अधिकार सूबेदार तुकोजीराव को हस्तगत हुए उनके कार्यकाल में राज्य की दशा पूर्ण संतोषजनक रही
सुभेदार तुकोजी राव होलकर एक कुशल सेनापति और वीर योद्धा थे व साधारण रहन-सहन वाले निर्भय मानी व्यक्ति थे पेशवा द्वारा उनको 12 भाई वाली सलाहकार समिति में भी स्थान देकर मान दिया गया था
सन 1785 में टीपू सुल्तान पर चढ़ाई
टीपू सुल्तान ने अपने शासनकाल में एक लाख से अधिक हिंदुओं को मुसलमान बनाया था वह अपने आप को औरंगजेब, तैमूर, नादिरशाह, की तरह मशहूर करना चाहता था और उनका सरताज बनना चाहता था
जिस समय हिंदुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का कार्य शुरू हुआ उसी समय हिंदू समाज में कोहराम और आहकार को सुनकर हिंदू धर्म की रक्षा का बाना धारण करने वाले मराठों में क्रोध की लहर दौड़ पड़ी तथा सभी ने यह निश्चय किया कि टीपू सुल्तान के फन को कुचला जाए नाना फडणवीस ने सभी मराठा सरदारों को आदेश दिया कि वह धर्मार्थ टीपू सुल्तान पर चढ़ाई करे पुणे में सभी मराठा सरदारों की विशेष सभा में यह निश्चय किया गया कि धर्मांध टीपू सुल्तान पर चढ़ाई करने के लिए पहले परशुरामभाऊ को भेजा गयाऔर फिर मार्च 1786 में तुकोजी राव होल्कर ने टीपू सुल्तान के विरुद्ध प्रयाण किया वह पश्चिमी रास्ते से होकर बादामी की ओर आगे बढ़ेंगे उन्होंने मई 1786 को बादामी किले को घेरकर 3 सप्ताह तक भयंकर गोलीबारी की और घमासान युद्ध कर उस पर अधिकार कर लिया इसी प्रकार 8 जून 1786 को तुकोजी राव होल्कर ने गजेंद्रगढ़ पर अधिकार कर लिया जल्द ही मराठों ने धारवाड़, सावनुर, अडोनी, गजेंद्रगढ़ तथा बहादुर विंडा युद्ध कर अधिकार कर लिया युद्ध के बाद टीपू सुल्तान सावानूर की ओर आगे बढ़ा यहां का राजा मराठों का मित्र था इसलिए तुरंत हरिपंत और तुकोजीराव होलकर सावनुर की रक्षा के लिए पहुंच गए यहां पर मराठों ने छापामार प्रणाली के द्वारा टीपू सुल्तान से युद्ध किया तथा उसे बहुत हानि पहुंचाई उस युद्ध में खुलकर तोपखाने का प्रयोग किया गया मराठों ने गुरिल्ला युद्ध द्वारा टीपू सुल्तान के हजारों सैनिकों को मार डाला टीपू सुल्तान केवल देखता रह गया अब उसे यह आभास हो गया था कि वह मराठों से जित ना सकेगा इसलिए उसने मराठा सरदार हरि पंथ से संधि वार्ता शुरू की यह उसकी चाल मात्र थी हरि पंत के थोड़ा ढीला पढ़ते ही वह उन पर टूट पड़ा तब पंत ने मुश्किल से अपनी रक्षा की उसके बाद एक दिन तुकोजीराव होलकर और पंत ने टीपू सुल्तान पर आक्रमण कर मारकाट मचा दी इसमें मराठों ने बड़ी संख्या में टीपू सुल्तान के सैनिकों को काट कर फेंक दिया टीपू सुल्तान की सेना मराठों की मांर सहन नहीं कर सकी की और रणभूमि में भागने लगी टीपू की सेना जब मैदान से भागी तो उनके पीछे मराठा गुड़सवार लग गए उन्होंने टीपू की सेना का भारी विनाश किया टीपू सुल्तान भी पराजित होकर भागा उसका पीछा किया तथा उसके ढेरों को लूट कर आग लगा दी और उसके बहुत से सैनिकों को कैद कर लिया टीपू सुल्तान की हार इतनी करारी थी कि वह मोशिलेविय के पास जाकर रुका उसने वहां से संधि की याचना की वीर तुकोजीराव होलकर के अधिनायकक्तव मैं मराठा रण वाहिनी टीपू सुल्तान को महाराष्ट्र मंडल के साथ संधि पर् विवश होना पड़ा अंत में मार्च 1786 को गजेंद्रगढ़ में टीपू और मराठों में संधि हुई संधि के अनुसार टीपू सुल्तान ने पेतालिस लाख नगद और सहाठ लाख देने का वादा किया
इस संधि से मराठों को अधिक लाभ हुआ उनके खोए इलाके फिर से उन्हें वापस मिल गए और मराठों की सीमा कृष्णा नदी के बजाय तुंगभद्रा नदी तक पहुंच गई तुकोजी राव होल्कर ने टीपू के दो पुत्रों को अपनी कैद में रखा जब तक टीपू संधि के अनुसार सारे कार्य नहीं करता तब तक उसके दोनों पुत्रों को कैद में ही रखा जाएगा तुकोजीराव होलकर ने अपनी पैनी तलवार की मार से टीपू सुल्तान का धर्मांधता का भूत उतार दिया आगे चलकर टीपू के सारे राज्य को मराठों और अंग्रेजों ने जीत लिया जिस मैसूर के हिंदू राजघराने को हराकर टीपू ने गद्दी छीनी थी उन्हीं मेंसुर के राजा को वापस सौंप दिया गया त्रावणकोर के इलाके को टीपू ने जीता था उसके राजा को त्रावणकोर वापिस दे दिया गया टीपू की सत्ता का अंत हो गया
ऐसे मराठा वीर योद्धा सूबेदार तुकोजीराव होलकर को शत शत नमन
साभार ग्रंथ-होलकरों का इतिहास मधुसूदन - राव होलकर
Post by_. Sumit borade
Indore
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