सुर्वे सरदार
"सुर्वे "मराठा क्षत्रिय समुदाय का एक प्राचीन और सम्मानित कुल है जिसका इतिहास सात सौ साल पुराना है। बीजापुर सुल्तान के समय में दक्खन में कई सुर्वे सरदार थे।
बाद में जब मराठा साम्राज्य का विस्तार पूरे भारत में हुआ तब प्रत्येक मराठा राज्य चाहे वह ग्वालियर, इंदौर, धार अथवा देवास, बरोदा या कोल्हापुर और दक्षिण में तंजावुर सामान्यतः सभी में कुछ सुर्वे परिवार थे जो कि मराठा जाति के उच्च पदों पर उनकी उपस्थिति दर्शाह रहे हैं ।
ग्वालियर में सबसे प्रसिद्ध सुर्वे परिवार सरदार काशीराव जी का था जो कि मूल रूप से इनामदार (ठाकुर) कोंकण के रत्नागिरी के मोसाद गांव के रहने वाले थे। वह सन् १८३५ में पैदा हुए थे और अपनी मृत्यु सन् १९०६ के पहले ग्वालियर रियासत के प्रधान सेनापति नियुक्त हुए।
वह चीफ साहब के नाम से प्रसिद्ध थे (क्योकि वह ग्वालियर सेना के मुख्य सेनापति थे)।उनके पुत्र सदाशिवराव सुर्वे थे। सुर्वे कुल का माहुरकरों परीवार के साथ घनिष्ठ संबंध थे।
नीचे की पहली दो तस्वीरों में काशीराव साहब को सरदार की वेशभूषा में अंगरखा और मराठा पगड़ी में दिखाया गया है और दूसरी तस्वीर में वह सामान्य कपड़ों में हैं। तीसरी तस्वीर दिलचस्प है इसमें उनको अपने भतीजे और अपने तीन बच्चों के साथ दिखाया गया है (बच्चों की सौगात उन्हें अपने जीवन में काफी देर से मिली थी) जिसमें उनके पुत्र सदाशिवराव भी हैं। उनकी दोनों पुत्रियों नें खास नववारी मराठा साडि़याँ पहन रखी हैं।
मराठा सुर्वे कुल का कुलाचार
वंश = सुर्यवंश.
गोत्र = वसिष्ठ, कोल्हापुर के सुर्वे भारद्वाज गोत्री है.
कुलदैवत = श्रीशंकर.
कुलदेवी = महालक्ष्मी.
विजय शस्त्र = खांडा.
देवक = पंचपल्लव.
मंत्र = गायत्री मंत्र
मूल पुरुष = राजा भानुवर्मा
राजगद्दी- अयोध्या, पट्टण,श्रंगारपुर.(श्रंगारपुर यह राजेसुर्वे घराने की पारंपारीक राजगद्दी थी).
श्वेत रंग का सिंहासन, श्वेत रंग का छत्र, श्वेत रंग का निशान, श्वेत रंग का वारु एवं ध्वजस्तंभी सुर्य.
उपनाम :- उंदरे.करपे.करणे.काटे.कुर्हाडे.कुंवर.खरडे.गवसे.घोडे.घाणे.डबीर.ढोणे.ढेरे.तळवटे.नाईक.राजवाडे.रावळ.रासने.वझे.रेंडे.वाळके.विंचुरकर.शेंडे.साबणे.सिंगार.सिरसाठ.सोटे.सुरंगे.सोनाने.हक्कदार आदी.
गोत्र = वसिष्ठ, कोल्हापुर के सुर्वे भारद्वाज गोत्री है.
कुलदैवत = श्रीशंकर.
कुलदेवी = महालक्ष्मी.
विजय शस्त्र = खांडा.
देवक = पंचपल्लव.
मंत्र = गायत्री मंत्र
मूल पुरुष = राजा भानुवर्मा
राजगद्दी- अयोध्या, पट्टण,श्रंगारपुर.(श्रंगारपुर यह राजेसुर्वे घराने की पारंपारीक राजगद्दी थी).
श्वेत रंग का सिंहासन, श्वेत रंग का छत्र, श्वेत रंग का निशान, श्वेत रंग का वारु एवं ध्वजस्तंभी सुर्य.
उपनाम :- उंदरे.करपे.करणे.काटे.कुर्हाडे.कुंवर.खरडे.गवसे.घोडे.घाणे.डबीर.ढोणे.ढेरे.तळवटे.नाईक.राजवाडे.रावळ.रासने.वझे.रेंडे.वाळके.विंचुरकर.शेंडे.साबणे.सिंगार.सिरसाठ.सोटे.सुरंगे.सोनाने.हक्कदार आदी.


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