विनोद जाधव एक संग्राहक

Thursday, 19 August 2021

श्रीमंत तुकोजी राव होलकर का दरबार

 

होलकर शाही होलकर साम्राज्य महान मराठा साम्राज्य के शक्तिशाली इंदौर राज्य के होलकर साम्राज्य मैं दरबार में जाने से पहले अंग्रेज अधिकारियों से जूते उतरवाए जाते थे
हैदराबाद के निजाम के दरबार में अंग्रेजों ने इस बात को लेकर हमला कर दिया था इस घटना के बाद इंदौर के रेजिडेंट्स ने जूते उतारने से इनकार किया तो उसे दरबार में प्रवेश नहीं दिया गया इसके बाद इंदौर में पदस्थ सभी अधिकारियों ने जूते उतारने की परंपरा का पालन किया

श्रीमंत तुकोजी राव होलकर का दरबार इंदौर के राजवाड़ा के दरबार हाल में लगता था इस में बैठने के लिए कुर्सियां नहीं लगाई जाती थी सभी दरबारियों को कारपेट गादियों पर जूते उतारकर आलती पालती मांड कर बैठना पड़ता था
1857 इंदौर में इंदौर रेसीडेंसी हैं कर्नल एचएम डुरेंड की नियुक्ति हुई डुरेंड तुनक मिजाज और जिद्दी था उसने जूते उतारकर भूमि पर बैठने से इनकार कर दिया उसने महाराजा साहब को तर्क दिया कि भारतीय परंपरा के अनुसार जब भारतीय नरेश को जूते उतार कर महारानी के वायसराय के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने दिया जाता है कौन से ब्रिटिश परंपरा के अनुसार वायसराय के सम्मान में टोपि या साफा नहीं उतरआया जाता है इसलिए अंग्रेज अधिकारियों को जूते उतारने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता इस तर्क के बावजूद भी अंग्रेजों को जूते उतारे बगैर दरबार में जाने की अनुमति नहीं दी गई कर्नल डुरेंड के बाद सर रिचमार्ड शेक्सपियर नए होलकर दरबार की इस परंपरा पर कोई आपत्ति नहीं उठाई पुणे सेंट्रल इंडिया में भारत के गवर्नर जनरल के एजेंट के रूप में नियुक्त किया गया इसके बाद 1861 में मेजर मेडे को इंदौर के पदस्थ पर नियुक्त किया गया उसने होलकर महाराज के दरबार में उपस्थित होकर सम्मान प्रकट करने की सूचना भेजी महाराज ने दरबारियों को हिदायत दी कि दरबार की परंपरा के अनुसार किसी भी अंग्रेज अफसर को जूते उतारे बगैर दरबार में प्रवेश नहीं दिया जाए इस आदेश का पालन करते हुए दरबार में कुर्सी नहीं लगाई गई मेडे जब दरबार में पहुंचा तो उसने परिस्थिति को भापकर अपने साथियों के साथ जूते उतारकर महाराजा साहब के पास लगे गद्दी पर बैठ गया उसके बाद किसी भी अंग्रेज अफसर ने जूते उतारने की परंपरा का विरोध नहीं किया

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#द ग्रेट मराठा #श्रीमंत महादजी बाबा शिंदे

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