#कुंजपुरा_की_जंग :-
17 अक्तुबर 1760 को मराठों ने यमुना नदी पार की और कुंजपुरा के नवाब नजाबत खान पर हमला किया ! कुंजपुरा जो कि जिला करनाल से 10 किलोमिटर पूर्व मे स्थित है, कुजपुरा के किले को गार्दी की तोंपो ने कुछ ही क्षणों मे किले के दरवाजे उडा दिये ! दत्ता जी शिंदे की मौत का बदला लेने को आतुर मराठा सेना कुंजपुरा पर टूट पडी ! पठान कांपने लगे ! महादजी शिंदे शेर की तरह गरजता बरसता व कत्ले आम करता हुआ दुश्मन पर टूट पडा !
लाशों के ढेर लगा दिये ! नजाबत का सर उतारकर ही मराठा सेना ने दम लिया ! मात्र एक ही दिन की लडाई मे कुंजपुरा मे 20,000 शत्रु मराठा सेना की प्यासी तलवार का शिकार हुए ! हजारों टन अनाज व तोपखाना सहित काफि राहत सामग्री मराठा सेना को मिली !
आज भी कुंजपुरा मे उस किले के अवशेष मौजुद है ! मराठों की इस विजय से अहमद शाह अबदाली कांप उठा ! उसने आगे की लडाई के लिये योजनाबद्ध तैयारी शुरू की ! उसने अपने जो सैकड़ों मुख योद्धा खोये थे उनकी चीख उसके पास पत्र बनकर पहुँच रही थी !
उधर मराठा सेना जीत से उत्साहित होकर धर्मयुद्ध की भुमि कुरूक्षेत्र तक पहुच गई थी ! जंहा से बाद मे सेना पानीपत के लिये चली और महिनों की मोर्चाबंदी, रणनीति एवं छिटपुट लडाईयों के बाद 14 जनवरी 1761 को मराठा इतिहास का वो काला दिन आया जब मराठा सेना पानीपत कि मिट्टी को अपने खून से सींचते हुए शहीद हुई ! लाख के लगभग मराठा वीर शहीद हुए !
17 अक्तुबर 1760 को मराठों ने यमुना नदी पार की और कुंजपुरा के नवाब नजाबत खान पर हमला किया ! कुंजपुरा जो कि जिला करनाल से 10 किलोमिटर पूर्व मे स्थित है, कुजपुरा के किले को गार्दी की तोंपो ने कुछ ही क्षणों मे किले के दरवाजे उडा दिये ! दत्ता जी शिंदे की मौत का बदला लेने को आतुर मराठा सेना कुंजपुरा पर टूट पडी ! पठान कांपने लगे ! महादजी शिंदे शेर की तरह गरजता बरसता व कत्ले आम करता हुआ दुश्मन पर टूट पडा !
लाशों के ढेर लगा दिये ! नजाबत का सर उतारकर ही मराठा सेना ने दम लिया ! मात्र एक ही दिन की लडाई मे कुंजपुरा मे 20,000 शत्रु मराठा सेना की प्यासी तलवार का शिकार हुए ! हजारों टन अनाज व तोपखाना सहित काफि राहत सामग्री मराठा सेना को मिली !
आज भी कुंजपुरा मे उस किले के अवशेष मौजुद है ! मराठों की इस विजय से अहमद शाह अबदाली कांप उठा ! उसने आगे की लडाई के लिये योजनाबद्ध तैयारी शुरू की ! उसने अपने जो सैकड़ों मुख योद्धा खोये थे उनकी चीख उसके पास पत्र बनकर पहुँच रही थी !
उधर मराठा सेना जीत से उत्साहित होकर धर्मयुद्ध की भुमि कुरूक्षेत्र तक पहुच गई थी ! जंहा से बाद मे सेना पानीपत के लिये चली और महिनों की मोर्चाबंदी, रणनीति एवं छिटपुट लडाईयों के बाद 14 जनवरी 1761 को मराठा इतिहास का वो काला दिन आया जब मराठा सेना पानीपत कि मिट्टी को अपने खून से सींचते हुए शहीद हुई ! लाख के लगभग मराठा वीर शहीद हुए !
मराठों की पूरी एक पिडी देश धर्म कि रक्षा मे कुर्बान हो गई थी ! मराठों
का कोई भी घर एेसा नही बचा था जिसने अपना कम से कम एक सपुत न खोया हो !
धन्य हैं वो वीर जननीयां जिनहोने एेसे शेर जन्मे !
जय शिवराय !
जय शिवराय !
जय शिवराय !
जय शिवराय !
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