हौसले, हिम्मत और मोहब्बत की निशानी
किला जाधवगढ़
भाग १
इतिहास सिर्फ वही नहीं जो हम किताबों में पढ़ते हैं। इतिहास वो भी है जिसकी जानकारी हमें दुर्गम इलाकों में मौजूद अतीत की निशानियों तक पहुंचकर मिलती है। बाजीराव मस्तानी की प्रेम गाथा भी महाराष्ट्र के एक ऐसे किले के करीब आज भी गुनगुनाई जाती है, जिसके बारे में तमाम घुमंतुओं को भी कम ही मालूम है।
जी हां, पुणे से कोई 25 किमी दूरी पर स्थित जाध्ावगढ़ के किले के पास ही है वो मस्तानी झील, जहां मोहब्बत के कुछ हसीन लम्हे इन दोनों ने बिताए। जमाने के दस्तूरों को झकझोरा और पूरे किए अपने वो अरमान जिन पर उन दिनों तमाम तरह के पहरे रहा करते थे।
खुद महाराष्ट्र में बरसों से रहने वालों को भी जाध्ावगढ़ किले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। मुंबई से सड़क रास्ते से पांच घंटे और पुणे से करीब 40 मिनट की दूरी पर है इतिहास की ये अनोखी विरासत। पिलाजी जाधवराव द्वारा 1710 में बनवाया गया ये किला महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश के उन किलों में सबसे आगे गिना जाता है, जिन्हें हेरिटेज होटल में तब्दील करने की महात्वाकांक्षी योजना पर काम चल रहा है। पुराने पुणे-सतारा मार्ग पर पुणे से 22 किमी आगे समुद्र तल से करीब ढाई हजार फिट की ऊंचाई पर छोटी छोटी पहाड़ियों के बीच कोई 25 एकड़ समतल जमीन पर बना है ये खूबसूरत किला। महाराष्ट्र की मशहूर मराठा वास्तुशिल्प के इस अद्बभुत नमूने में वो सब कुछ है जो आपका मन मोह लेता है। छत्रपति शाहू जी की सेना के मराठा जनरल पिलाजी जाधवराव के नाम पर ही इस इलाके का नाम पड़ा है जाध्ाववाड़ी। पहाड़ से निकाले गए पत्थरों को तराश कर बनाए गए इस किले की मजबूती और इसकी अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था यहां पहुंचकर की समझी जा सकती है।
जी हां, पुणे से कोई 25 किमी दूरी पर स्थित जाध्ावगढ़ के किले के पास ही है वो मस्तानी झील, जहां मोहब्बत के कुछ हसीन लम्हे इन दोनों ने बिताए। जमाने के दस्तूरों को झकझोरा और पूरे किए अपने वो अरमान जिन पर उन दिनों तमाम तरह के पहरे रहा करते थे।
खुद महाराष्ट्र में बरसों से रहने वालों को भी जाध्ावगढ़ किले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। मुंबई से सड़क रास्ते से पांच घंटे और पुणे से करीब 40 मिनट की दूरी पर है इतिहास की ये अनोखी विरासत। पिलाजी जाधवराव द्वारा 1710 में बनवाया गया ये किला महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश के उन किलों में सबसे आगे गिना जाता है, जिन्हें हेरिटेज होटल में तब्दील करने की महात्वाकांक्षी योजना पर काम चल रहा है। पुराने पुणे-सतारा मार्ग पर पुणे से 22 किमी आगे समुद्र तल से करीब ढाई हजार फिट की ऊंचाई पर छोटी छोटी पहाड़ियों के बीच कोई 25 एकड़ समतल जमीन पर बना है ये खूबसूरत किला। महाराष्ट्र की मशहूर मराठा वास्तुशिल्प के इस अद्बभुत नमूने में वो सब कुछ है जो आपका मन मोह लेता है। छत्रपति शाहू जी की सेना के मराठा जनरल पिलाजी जाधवराव के नाम पर ही इस इलाके का नाम पड़ा है जाध्ाववाड़ी। पहाड़ से निकाले गए पत्थरों को तराश कर बनाए गए इस किले की मजबूती और इसकी अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था यहां पहुंचकर की समझी जा सकती है।

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